CM हेमंत सोरेन 11 दिसंबर बोकारो जिले में ‘आपकी योजना-आपकी सरकार’ कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। बोकारो जिले के प्रशासनिक अधिकारी इसे लेकर तैयारी में जुट गये हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज जमशेदपुर के पोटका में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि गांव गांव पंचायत पंचायत शिविर लगाने के साथ-साथ हम कुछ शिविरों में पहुंच रहे हैं और ये देखने का कोशिश कर रहे हैं कि सरकार वाकई में जनता
जैक बोर्ड ने मुख्यमंत्री मेरिट स्कॉलरशीप स्कीम का परिणाम घोषित कर दिया है। इसमें 2855 छात्र-छात्राएं सफल हुए हैं। इसके लिए 44 हजार छात्र- छात्राओं ने परीक्षा दी थी। जिसमें से 2855 छात्र-छात्रा ने ही 60 प्रतिशत अंक हासिल किया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज सरायकेला खरसावां में सरकार आपके द्वार के तीसरे चरण के कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि अब राज्य का कोई ऐसा कोना बचने वाला है जहां सरकार नहीं पहुंचेगी।
सीएम हेमंत सोरेन पूर्वी सिंहभूम जिले में सात दिसंबर को आपकी योजना-आपकी सरकार कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। योजना की शुरुआत जिले के पोटका शहर से होगी।
CM Hemant will launch Aapki Yojana Aapki Sarkar program in Seraikela and Singhbhum
कहा, वैसे राज्य में औऱ भी जमींदार हैं। लेकिन सीएम के परिवार की जमींदारी ने सबको पछाड़ रखा है। इनकी जमींदारी सरीखी नीतियों के कारण ही आज झारखंड का विकास रुका हुआ है। घोटाले पर घोटाले पर हो रहे हैं।
उन्होंने आदिवासी छात्रावास में मल्टी पर्पज हॉल, पुस्तकालय, चारदीवारी औऱ रसोइया की व्यवस्था का छात्रों को भरोसा दिया।
सीएम हेमंत सोरेन ने गिरिडीह के झंडा मैदान में आपकी योजना-आपकी सरकार कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है। कार्यक्रम में जिले के लाभुकों को कई योजनाओं की सौगात देंगे।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार बहुत जल्द झारखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से वेकैंसी निकालने वाली है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका ऐलान किया है
सीएम हेमंत सोरेन ने गढ़वा में आज सरकार आपके द्वार कार्यक्रम तहत अपने संबोधन में कहा कि हमने जो भी योजना बनाई है वो योजना उनके लिए बनाई है जो गांव में बसते है। हमने शहर वालों के लिए शहरी तरह का योजना बनाया है।
सीएम ने सिमडेगा में सरकार आपके द्वार कार्यकम के दौरान कहा कि सरकार योजना लाती है लेकिन कहां चला जाता है ये पता ही नहीं चलता। वो इसलिए क्योंकि पढ़ाई लिखाई वाले जगहों में आदिवासी पदाधियकारियों की की कमी है।